भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल में आत्मबोध : मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज

भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल में आत्मबोध : मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज

भारतीय ज्ञान परंपरा के मूल में आत्मबोध है अर्थात स्वयं को जानो" । उक्त वचन हनुमत निवास के पीठाधीश्वर एवं सेवाज्ञ संस्थानम् के संरक्षक पूज्य मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में सेवाज्ञ संस्थानम् के तत्वावधान में आयोजित "भारतीय ज्ञान परंपरा और युवाओं की मन: स्थिति" विषयक संगोष्ठी में युवाओं को संबोधित करते हुए कहे ।

महाराज जी ने भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता बताते हुए कहा कि वर्तमान परिदृश्य में हम ज्ञान और सूचना को एक ही मानने की भूल करते हैं सूचना वह है जो आत्मबोध रहित हैं और ज्ञान आत्मबोध सहित है सूचनाएं एक प्रकार का आहार है इसमें से व्यक्ति जो आत्मसात करता है वही ज्ञान है । ज्ञान से ही व्यक्तित्व निर्मित होता है सूचनाओं से नहीं । यदि हम स्वयं को नहीं जानते तो हमें यह भी समझ नहीं होगी उन सूचनाओं का अपने लिए उपयोग क्या है । 

महाराज जी ने युवाओं को सुझाव दिया कि युवावस्था निवेश का समय है हम प्रतिक्षण अपनी सांसों का निवेश कर रहे हैं युवाओं को आत्मबोध होना चाहिए जिससे वे दैनिक रूप से अपने द्वारा किए गए कार्यों का परीक्षण कर सकें । वे प्रतिदिन अपनी योग्यता को बढ़ा सकें । मन को परिभाषित करते हुए महाराज जी ने कहा कि मन एक द्रव्य है अर्थात जिसे द्रवित किया जा सके । हमारी आत्मा मन में प्रविष्ट होकर अधिगृहीत कर लेती है ।

युवाओं के मन में उठ रही भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित जिज्ञासाओं को भी महाराज जी ने शांत किया। पर्यावरण , इतिहास, वैश्विक सभ्यताओं तथा भारतीय ज्ञान परंपरा में नारियों की स्थिति पर भी महाराज जी ने चर्चा की ।

 आईआईटी बीएचयू में प्रोफेसर संजय शर्मा जी ने युवाओं को स्वामी विशुद्धानंद एवं धर्मपाल जी को पढ़ने पर जोर दिया । महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में परीक्षा नियंत्रक प्रो वंशीधर पाण्डेय जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ऋषि महर्षि और महाराज जी जैसे लोग ही भारतीय ज्ञान परंपरा के साक्षात रूप हैं । युवाओं में अपनी संस्कृति की समझ विकसित हो तथा वे इसे लेकर कुंठा से बाहर निकले इसी उद्देश्य से ऐसी संगोष्ठीयां आयोजित की जाती हैं । 

 

इसके पूर्व महानुभावों का स्वागत उद्बोधन संस्था के सचिव श्याम जी सिंह ने किया । संचालन सृष्टि सरगम ने तथा धन्यवाद ज्ञापन अंकित जायसवाल ने किया । 

कार्यक्रम में मुख्य रूप से कुलदीप नारायण , शुभम तिवारी , मनीष पांडे , अमिषा तिवारी , प्रार्थना सिंह , दिति बनर्जी , वर्तिका सिंह , अवनीकांत पाण्डेय एवं शिवम पाण्डेय उपस्थित रहे ।

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